खरगोश और कछुए की कहानी – Rabbit and Tortoise story in hindi with Moral

Rabbit and Tortoise story in hindi – नमस्कार दोस्तों आज का पोस्ट हम नन्हे मुन्ने बच्चों के लिए लिखने जा रहे हैं क्योंकि हम समझते हैं कि हमारे इस वेबसाइट पर हम हर प्रकार के दर्शकों के लिए आर्टिकल लिखें और आज के इस पोस्ट में हम एक बहुत ही प्रसिद्ध स्टोरी जो आपने स्कूल में जरूर पढ़ी होगी उसका नाम है खरगोश और कछुए की कहानी

दोस्तों खरगोश और कछुए की कहानी हालाकी हर किसी को पता है लेकिन इस स्टोरी के पीछे हम को क्या सीखने को मिलता है इसके बारे में ज्यादा लोग अच्छे से नहीं जान पाए हैं. और आपके इस पोस्ट में हम आपको सबसे पहले तो खरगोश और कछुए की पूरी कहानी बताएंगे हिंदी में और उसके बाद इस कहानी से हमको अपने जीवन में क्या सीख लेना चाहिए इसके बारे में भी आपको विस्तार में बताएंगे

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चलिए दोस्तों ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए हम आज के इस मजेदार हिंदी स्टोरी की शुरुआत करते हैं और हम आपसे यह रिक्वेस्ट करेंगे कि आप इस कहानी को पूरे अंत तक पढ़िए ताकि आपको पता चल जाए की यह कहानी को आप लोगों के साथ दोबारा शेयर करने का हमारा मेन मकसद क्या था

Rabbit (Hare) and Tortoise story in hindi with Moral
खरगोश और कछुए की कहानी हिंदी में

Rabbit and Tortoise story in hindi with moral

1 दिन एक तालाब के किनारे एक कछुआ और एक खरगोश रहते थे वह लोग एक दूसरे के बहुत अच्छे दोस्त थे लेकिन खरगोश हमेशा कछुए को चिढ़ाता रहता था और परेशान करता था कि तुम कितना धीरे-धीरे चलते हो और तुम्हारी चाल कितनी धीमी है

खरगोश को जब कभी भी मौका मिलता है तब वह कछुए को चिढ़ाना शुरू कर देता और इस बात से कछुए को बहुत ज्यादा बुरा लगता है और वह खरगोश पर बहुत ज्यादा गुस्सा भी करता था कि आप मेरे को बार-बार क्यों चढ़ाते हो

लेकिन खरगोश अपनी हरकतों से बाज नहीं आता था और वह नियमित रुप से जब कभी मौका मिलता तो कछुए को चुराना शुरू कर देता उसकी चाल को लेकर

1 दिन कछुए को बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया और उसने खरगोश से कहा कि तुझको अपने तेज दौड़ने पर बहुत ज्यादा घमंड है तो चल हम दोनों रेस लगाते हैं और अगर मैं जीत गया तब उसके बाद तुम उसको कभी भी जिंदगी में मेरी धीमी गति को लेकर और मेरे चाल को लेकर कभी भी मजाक नहीं बनाओगे

खरगोश को दौड़ने की रेस के बारे में सुनकर बहुत ज्यादा हंसी आने लगी और वह कछुए पर बहुत जोर जोर का हंसने लगा कि अरे अगर तुझे कंपटीशन लड़ाना ही है तो अपने टक्कर वालों के साथ लड़ा मुझसे क्यों लड़ा रहा है तुझको तो मैं बहुत आसानी से देश race में हरा दूंगा

लेकिन कछुए ने यह सोचा कि अगर इस खरगोश का मुंह बंद करना है तब मुझको इसके साथ race लगाना ही पड़ेगा क्योंकि तभी यह अपना मुंह बंद रखेगा और मुझको परेशान करना बंद करेगा और इसका घमंड भी टूट जाएगा

उसके बाद खरगोश नहीं सोचा कि चलो कछुए की भी बात सुन लेते हैं और फिर खरगोश कछुए के साथ दौड़ की race करने के लिए तैयार हो गया

उन्होंने 1 किलोमीटर दूर एक बरगद का पेड़ को अपना finishing line को सिलेक्ट किया. और फिर कछुए ने खरगोश से कहा कि यदि मैं तुमको रेस में हराने में कामयाब हो जाऊंगा तो आज के बाद तुम मुझको कभी भी मेरी चाल को लेकर और मेरी धीमी गति को लेकर मुझ को चिढ़ाओगे नहीं और परेशान भी नहीं करोगी

खरगोश फिर से हल्की मुस्कान देखकर कछुए की इस बात को भी उसने स्वीकार कर लिया क्योंकि उसको अपने आप पर पूरा भरोसा था कि मैं यह दौड़ की रेस को बहुत ही आसानी से जीत लूंगा मैं कहां और यह धीमा चलने वाला कछुआ कहा

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उसके बाद खरगोश और कछुआ दौड़ की रेस करने के लिए तैयार हो गए. जैसे ही दौड़ की रेस की शुरुआत हुई तब खरगोश बहुत तेजी से और बहुत कम समय में आगे बढ़ गया और वह बहुत तेज तेज दौड़ने लगा

आधा किलो मीटर दौड़ने के बाद खरगोश ने पीछे मुड़कर देखा तब उसको कछुआ दूर-दूर तक कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा था. तब खरगोश ने सोचा कि अरे कछुआ तो दूर दूर तक कहीं दिखाई नहीं दे रहा है शायद वह बहुत पीछे है

यही सोचकर खरगोश ने थोड़ा सा आराम करने का निर्णय ले लिया और उसने सोचा कि थोड़ी देर आराम कर लेता हूं और जब कछुआ दिखाई देना शुरु कर देगा तब उसके बाद मैं तेजी से दौड़ कर race को जीत लूंगा

उसके बाद खरगोश एक पेड़ के नीचे आराम करने लग गया और आराम करते करते खरगोश को कब गहरी नींद आ गई उसको पता ही नहीं चला और वह गहरी नींद में सो गया

कछुआ खरगोश की बातों से इतना ज्यादा परेशान था कि वह चाहता था मैं किसी भी तरीके से इस खरगोश को दौड़ की रेस में हरा दूं और इसका घमंड हमेशा हमेशा के लिए तोड़ दूं

और यही बात सोचकर कछुआ धीरे-धीरे और निरंतर रुप से लगातार finishing line की तरफ बढ़ता रहा. कुछ देर बाद खरगोश की अचानक से आंख खुली और उसने देखा कि कछुआ उसको कहीं दिखाई नहीं दे रहा है

तब वह फिर से जोड़ जोड़ का दौड़ने लगा और जब वह finishing line के निकट पहुंचा तब उसके पैरों तले जमीन खिसक गई और उसने देखा कि कछुआ पहले से ही finishing line पार कर चुका था और वहां पर खरगोश का इंतजार कर रहा था

खरगोश को यकीन ही नहीं हुआ कि मैं यह दौड़ की रेस को हार गया हूं और इसी के बाद खरगोश का घमंड भी टूट गया और उसने उसके बाद कछुए को कभी भी परेशान नहीं किया

दोस्तों हम लोगों को इस कहानी से सीख क्या मिलती है:

Moral of this Story

  • हम लोगों को इस कहानी से यह सीख मिलती है कि आपको कभी भी अपने आप पर ओवरकॉन्फिडेंस नहीं दिखाना है.
  • आपको कभी भी दूसरे व्यक्ति को या सामने वाले व्यक्ति को कमजोर नहीं समझना है
  • दूसरे व्यक्ति को उसकी कमजोरी को लेकर आपको उनको परेशान नहीं करना है ना ही उनको चिढ़ाना है
  • जीवन में यदि आप कोई भी लक्ष्य पाना चाहते हैं तब आपको लगातार और धीरे-धीरे अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ते रहना है जिस तरीके से कछुए ने किया और इसी के बदौलत वह खरगोश को इस दौड़ की रेस में हरा पाया

यदि आप कोई जीवन में अपना लक्ष्य पाना चाहते हैं तब आपको कभी भी रुकना नहीं है रास्ते में और अपने प्रतिद्वंदी को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए. आपको लगातार मेहनत करना होगा और लगातार अपने लक्ष्य की और आगे बढ़ना है जब तक आप अपने लक्ष्य को नहीं पा लेते तब तक आप को रुकना नहीं है और ना ही हार मानना है

यह जरुरी नहीं है कि आप कितना तेज आगे बढ़ रहे हो यदि आप अपनी मंजिल की और धीरे-धीरे भी बढ़ रहे हो तभी यह बहुत बढ़िया है अगर आप तेज अपनी मंजिल की ओर बढ़ रहे हो यह भी बहुत बढ़िया है लेकिन सबसे जरूरी बात यहां पर यह है कि आपको मंजिल को प्राप्त करने से पहले बीच में नहीं रुकना है आपको लगातार चलते रहना है फिर चाहे आप तेज चल रहे हो या धीरे चल रहे हैं इससे कोई फर्क नहीं पड़ता आप को लगातार और नियमित रूप से अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना है

कछुए को पहले से पता था कि खरगोश मुझसे बहुत तेज दौड़ता है लेकिन उसको अपने परेशानी से पीछा छुड़ाना था और उसने अपना दृढ़ निश्चय बना लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं इस खरगोश को दौड़ की रेस में जरूर हरा दूंगा

और इसी दृढ़ निश्चय की वजह से उसने खरगोश को जो कि बहुत तेज दौड़ता था उसको दौड़ की रेस में हरा दिया

इस बात से हम लोगों को यह सबक मिलती है कि यदि आपने अपने मन में सोच लिया कि मैं कोई काम कर सकता हूं तो आप उसको बेशक कर सकते हो केवल आप को अपने आप पर पूरा भरोसा आत्मविश्वास और सेल्फ कॉन्फिडेंस होना चाहिए

फिर चाहे आपके सामने कितना भी बड़ा प्रतिद्वंदी हो या कितनी भी मुश्किल आए आप अगर अपने पूरे आत्मविश्वास से आगे बढ़ते हैं तब आपको आपकी मंजिल पाने से दुनिया की कोई ताकत नहीं रोक सकती

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आपकी और दोस्तों

दोस्तों यह था खरगोश और कछुए की कहानी ( Rabbit and Tortoise story in hindi with Moral ) हम उम्मीद करते हैं कि आपका यह पूछ पढ़कर आपको बहुत मजा आया होगा और आपको जिंदगी में जीत पाने के लिए और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए बहुत अच्छी सीख मिली होगी

यदि आप लोगों को हमारा यह स्टोरी पसंद आई हो तो कृपया करके अपने दोस्तों के साथ और दूसरे बच्चों के साथ जरुर शेयर करें

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