80+ रूठे हुए को मनाने की शायरी

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपके साथ रूठे हुए को मनाने की शायरी शेयर करने वाले है जिसको आप किसी भी लड़के, लड़की, पति, पत्नी, बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड को मनाने के लिए उनके साथ शेयर कर सकते हो.

दोस्तों ये सभी शायरी बहुत ही अच्छी है और इसको पढ़कर किसी का भी दिल पिघल जायेगा और उनकी नाराजगी चुटकियों में दूर हो जाएगी.

दोस्तों किसी को भी मनाने के लिए ये बेस्ट शायरी कलेक्शन है, तो फिर चले दोस्तों बिना कोई टाइम बर्बाद करते हुए सीधे इस पोस्ट को स्टार्ट करते है.

रूठे हुए को मनाने वाली शायरी

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1
नाराज हो हमसे हम तुम्हें मनाए कैसे
दिल में तुम्हें तुम्हारी जगह में दिखाएं कैसे
मान भी जाओ तुम करती हो हमें परेशान
तुम्हारे लिए हम माफी भी मांगे कैसे

2
मान लिया मेरी ही गलती थी
मान लिया मैंने ही सब कुछ गलत किया था
मैं अपनी गलती की माफी मांगता हूं
मैं नहीं तुम पर गुस्सा किया था

3
तुम जब खुश रहती हो तो ही अच्छी लगती हो
तुम यह नाराज मुझे बिल्कुल भी अच्छी नहीं लगती हो
इसीलिए मान जाओ मेरी बात और गुस्सा छोड़ दो
तुम इस गुस्से में बिल्कुल भी प्यारी नहीं लगती हो

4
तुम्हें किस बात का गुस्सा है
तुम्हें किस बात की नाराजगी है
हमने ऐसा क्या किया है जो
हमसे यह नाराजगी है
हमने तो सिर्फ आपका भला ही चाहा है
फिर हमसे यह कैसी नाराजगी है

5
तुम कुछ भी कहोगी मैं सह लूंगा
तुम्हारी हर बात में मान लूंगा
बस यह रुठा मत किया करो मुझसे
वरना मैं फिर किसी और से प्यार कर लूंगा

6
मैंने तुम्हें कितनी बार मनाया है
मैंने तुम्हें कितनी बार सॉरी बोला है
मैं आज भी तुमसे माफी मांगता हूं मान जाओ ना
मैंने तुम्हे हमेशा अपनी जान बोला है

7
तुम रहो खुश इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं चाहिए
मैंने हमेशा तुम्हारा साथ चाहा है
इससे ज्यादा मुझे कुछ नहीं चाहिए
तुम्हारी मोहब्बत ने है मुझे जीना सिखाया है
मुझे उससे ज्यादा कुछ नहीं चाहिए

8
यह तुम्हारी नाराजगी ही मुझसे सहन नहीं होती
बाकी सब कुछ तुम्हें हंस कर सह लेता हूं
अगर रूठ जाती हो तुम मुझसे एक बार
तो फिर मैं जी भर कर रो लेता हूं

9
चलो हम तुम्हारी हर बात मान जाएंगे
जैसा तुम कहोगे वैसा बन जाएंगे
बस एक बार मान जाओ ना
फिर देखो हम तुम्हारे लिए कुछ भी कर जाएंगे

10
मुझसे हुई है जो गलतियां मैं उन्हें दोहराऊंगा नहीं
तुम्हें छोड़कर मैं अब किसी और के पास जाऊंगा नहीं
बस तुम मान जाओ ना एक बार
में किसी और से बात करूंगा नहीं

11
उसके सिवा एक मैंने किसी से बात नहीं की
उसके सिवा में नहीं किसी और से मुलाकात नहीं की
वो रूठ गई है मुझसे
जब मैंने उसके सिवा किसी और से मोहब्बत नहीं की

12
यह क्या जिंदगी का उसूल चल रहा है
जिसे देखो वह हमसे नाराज चल रहा है
हमने किसी का क्या बिगाड़ा है
जो हर कोई हमसे रूठा रूठा चल रहा है।।

13
क्या किसी से मोहब्बत करनी
और किसी से शिकायत करनी
छोटी-छोटी बातों पर लोग नाराज हो जाते हैं
और उनको मनाने के लिए हम हर बार झुक जाते हैं
इस बार भी मैं तुम्हें मना रहा हूं मान जाओ ना देखो
फिर से अपनी मोहब्बत दिखा रहा हूं

14
प्यार ही मैंने तुमसे ही किया है
इजहार भी मैंने तुमसे ही किया है
तुम रही हो हमेशा मेरे दिल में
मैंने मोहब्बत थी तुमसे ही किया है

15
आज हमसे कोई नाराज बैठा है
सुबह से ही देखो उदास बैठा है
उसके बिना दिल हमारा भी नहीं लगता
फिर वह क्यों हमसे इस तरह नाराज बैठा है।।

16
बात वह भी हमसे करना चाहते हैं
बात हम भी उनसे करना चाहते हैं
पर नाराजगी जायज है उनकी
जो वह हमसे मिलना ही नहीं चाहते है

17
कोई मुझसे मिलना नहीं चाहता
कोई मुझसे बात करना नहीं चाहता
जिसे देखो खलता हूं मैं कोई मुझे मनाना नहीं चाहता

18
अब क्या करने की बात किसी से मुझे
अब क्या मोहब्बत करनी किसी से मुझे
मैं तो ऐसे ही ठीक हूं
अब क्या मुलाकात करनी थी किसी से मुझे

19
मान जाओ ना यह मैं कितनी बार कहूंगा
तुम जितनी बार रूठ जाओगी
मैं उतनी बार तुम्हें मना लूंगा
पर छोड़कर जाने की बात ना करना
वरना मैं तुम्हारे बिना फिर कैसे रह लूंगा

20
तुम्हारी हर बात हमेशा ही तुमने मानी है
और आज भी मैं मान जाऊंगा
बस तुम इस तरह से नाराज ना हुआ करो
वरना मैं मर जाऊंगा

21
किसी के जाने से कोई नहीं मरता
उसे तो हमारी फिक्र ही नहीं होती
वह तो रहती है किसी और के साथ ही खुश
हम कितना भी मना है उसे हमारी जिक्र तक नहीं होती

22
हर बार वो रूठ जाती है
मैं हर बार मना लेता हूं
गलती उसकी होती है
फिर भी मैं अपनी मान लेता हूं
और क्या करूं उसके लिए सब कुछ तो किया है
फिर भी मैं उससे मोहब्बत कर लेता हूं

23
हर बार मैंने ही उसे चाहा है
हर बार मैंने उससे मोहब्बत की है
वो रहे हैं वहां भी मुझे क्या मालूम
मैंने हमेशा उससे ही प्यार की बात की

24
आज कोई नाराज बैठा है
देखो मेरा चांद मुझसे रूठा है
जिसको उदास नहीं देख सकता था
मैं कभी अपनी जिंदगी में
आज जो मुझसे बहुत दूर दूर बैठा है

25
उस तरह मुझसे नाराज ना रहा करो
तुम्हारे नाराज रहने से मेरी जान जाती है
बात तो करो गले तो लगाओ
तुम्हारे यूं चुप रहने से मुझे नींद नहीं आती है

26
हर बार क्या गलती मैंने ही की है
हर बार क्या शिकायत मैने ही की है
उसे है किसी और से मोहब्बत
फिर भी मैंने उसे मनाने की हर कोशिश की है

27
तुमने मेरा हर बार दिल तोड़ा है
तुमने हर बार मुझे अकेला छोड़ा है
फिर तुम आज क्यों मुझसे रुठ गई हो
जब मैंने तुम्हारे लिए हर रिश्ता नाता तोड़ा है

28
हर बार तो मनाया है मैंने तुम्हें
हर बार तो सीने से लगाया है मैंने तुम्हें
क्या गलती रह गई थी मेरी मोहब्बत में
हर बार तो तुम्हें खुद से ज्यादा चाहा है मैंने

29
उन्हें हम कितना भी मना लेंगे
उनसे हम कितने भी मोहब्बत कर लेंगे
अगर उन्हें नहीं रहना हमारे पास तो नहीं रहेंगे
चाहे हम उनसे कितनी भी चाहत कर लेंगे

30
मोहब्बत उनसे हमें कुछ इस कदर थी
चाहत भी हमें उनसे कुछ इस कदर थी
हमने सिर्फ उन्हें देखा था ख्वाबों में
उनसे मुलाकात कुछ हमारी इस कदर थी

31
उनको मनाने की हर कोशिश की मैंने
पर मैं उसे मना नहीं पाया
मैंने बहुत सोचा कि मान जाएगी वह एक दिन
पर मैं उसे अपने प्यार का एहसास दिला नहीं पाया

32
शायद वो मानना ही नहीं चाहती
शायद मोहब्बत करना ही नहीं चाहती
हमने बहुत की उन्हें मनाने की कोशिश
पर शायद वह वापस आना ही नहीं चाहती

33
बताओ अब मैं तुम्हें कैसे मना लूं
बताओ मैं तुम्हारे लिए क्या कर लूं
सब कुछ तो कर कर देख लिया मैंने
अब क्या मै मौत से मुलाकात कर लूं

34
मैंने तुम्हें हमेशा ही तो खुद से ज्यादा चाहा है
मैंने तुम्हें हमेशा ही तो खुद से ज्यादा माना है
फिर तुम क्यों मुझसे दूर क्यों रहती हो
जब मैंने तुम्हें ही अपना सब कुछ माना है
यूं उदास और नाराज ना रहो करो मेरे से
मैंने तुम्हें ही अपना खुदा माना है

35
तुम नजर हो मुझसे नाराज हो जाओगी
तू क्या तुम भी मुझसे दूर रह पाओगी
शायद तुम भी करती हो मुझसे मोहब्बत
फिर तुम क्या मुझसे ज्यादा देर नाराज रह पाओगी

39
यह नाराजगी अब छोड़ो ना
यह रिश्ता मत तोड़ो ना जरा पास तो आकर बैठो मेरे
मुझे यूं अकेला न छोड़ो ना

40
मोहब्बत है तुमसे और हमने कर ली है
बहुत चाहत है तुमसे और इश्क़ कर लिया है बहुत
फिर आप क्यों हमसे नाराज रहते हो
हमने आपसे प्यार कर लिया है बहुत।।

41
यह नाराजगी तुम्हारी मुझसे बर्दाश्त नहीं होती
यह मोहब्बत अब बढ़ चुकी है यह मुझको रात नहीं होती
तुम हमेशा ही तोड़ देती हो दिल मेरा
पर अभी नाराजगी मुझसे सहन नहीं होती

42
तुम जो कहोगी हम तुम्हारी सारी बात मान जाएंगे
तुम्हें ऐसे ही करेंगे बात तुम्हारे लिए सब कुछ कर जाएंगे
बस यह नाराजगी छोड़ दो ना मेरी जान
फिर देखो हम तुम्हारे लिए खुदा से भी लड़ जायेंगे

43
बात सिर्फ इतनी सी है कि मुझे तुम्हारे सिवा कुछ आता नहीं है तुम अगर रहती हो नाराज तो फिर मुझे कुछ भाता नहीं है
तुमसे ही है मोहब्बत और तुमसे ही रहेगी
तुम्हारे सिवा मुझे किसी और पर प्यार आता नहीं है

44
यह चाहत मुझे तुमसे है
यह मोहब्बत मुझे तुमसे है
और मैं तुमसे ही करता रहूंगा
तुम ही बसती हो मेरे दिल में
और मैं तुमसे इश्क करता रहूंगा

45
मान जाओ ना अब तुम मुझसे नाराज ना रहो ना
तुम तुम ही तो मेरी अपनी हो
भुला जाओ ना सब कुछ इस तरह उदास ना रहूं ना तुम

46
तो तुम इस तरह से उदास बैठे हो
क्यों हमसे आप नाराज बैठे हो
हमने तो कुछ किया भी नहीं है आपका
फिर आप क्यों हमसे दूर दूर बैठे हो
चलो अब मान भी जाओ ना
कि हमसे क्या शिकायतें लेकर बैठे हो

47
जो भी शिकायत है वह हमें बताओ ना
जो भी आपके दिल में है वह हमें दिखाओ ना
अगर है नाराजगी तो उसकी वजह बताओ ना
मै सब कुछ सही कर दूंगा एक बार तुम दिल लगाओ ना

48
वापस से सब कुछ सही हो जाना कितना मुश्किल होता है
पराए को अपना बनाना कितना मुश्किल होता है
और जो मेरा अपना था
वह आज मुझसे नाराज होता है
देखो उसकी नाराज होने से मुझे कितना दुख होता है

49
एक उसकी नाराजगी ही मुझे बहुत खलती है
वरना मुझे इस दुनिया में किसकी फ़िक्र रहा करती है
तू नाराज होती है आज मुझसे और देखो
फिर से मुझे उसकी मोहब्बत अच्छी लगती है

50
सब कुछ तो किया है मैंने उसके लिए
और मैं क्या कर पाऊंगा
अब क्या मैं उस से मोहब्बत कर पाऊंगा
वह तो कहीं भी रहे मुझे उसकी कोई जरूरत नहीं
यह भी मैं उससे क्या कह पाऊंगा

51
हर बार तो मना लेता हूं मैं उसे इस बार भी मना ही लूंगा
चाहे कुछ भी करना पड़े मुझे
मैं उसे अपने पास बुला ही लूंगा
मैं ने है कि है उससे मोहब्बत
मैं ही निभाऊंगा अपना प्यार जता भी लूंगा
और बता भी दूंगा

52
चाहत मोहब्बत इबादत सब कुछ सही है मुझे
और फिर सब कुछ सही होता ही है मुझे
और मैं भी रहता हूं उसी के पास
उस को मनाता रहता हूं उसी से दिल भर जाता है मुझे

53
तुम्हारी नाराज थी अब बहुत हो गई
तुम्हारी यह बेरुखी अब बहुत हो गई
अब मुझसे सही नहीं जाती
और तुम क्यों रहती हो मुझसे इतनी नाराज
जरा पास तो आओ
तुम्हारी यह नाराजगी अब बर्दाश्त नहीं की जाती

54
मैंने तुम्हारे लिए क्या नहीं किया
क्या मैंने तुम्हारे लिए सब कुछ नहीं किया
फिर आज ही नाराज होने की कौन सी वजह है तुम्हारी
या मैंने तुम्हारे लिए खुद को सबसे दूर नहीं किया

55
ऐसी बात करने के लिए मैंने सब कुछ छोड़ दिया
इससे बात करने के लिए मैंने सब से रिश्ता तोड़ दिया
वह देखो मुझसे कितना दूर रहती है आज
जिसको पाने के लिए मैंने सब कुछ छोड़ दिया

56
आप बैठे हो हमसे नाराज तो फिर नाराज ही रहना
हम भी आपको मनाने नहीं आएंगे
अगर आप यह सोच रहे हैं तो आप गलत हैं
हम आप को मनाएंगे और बहुत सताएंगे

57
जो काम हमारा है वह तो हम करते ही हैं
नाराज अगर आप हैं तो फिर हम मनाते ही हैं
और मोहब्बत की है हमने आपसे तो फिर क्या कहने
हम मोहब्बत बताते भी हैं और प्यार निभाते भी हैं

58
हर बार में मैने ही अपनी गलती की माफी मांगी है
जो नहीं किया मैंने उसकी भी माफी मांगी है
फिर क्यों नाराज करते हो आप हमसे आज
जब हमने आपके लिए खुदा से बहुत सारी दुआएं मांगी है

59
मैंने सब कुछ सही कर दिया
या फिर मैंने कुछ गलत कर दिया
बताओ ना ऐसा क्या था जो मैंने गुनाह कर दिया
बैठे हो जो तुम हमसे नाराज तो फिर
आपने ऐसा कौन सा खता कर दिया

60
हर बार हमने उनसे मोहब्बत की
हर बार हमने उन्हें मनाया है
उनकी जगह हमारे दिल में कितनी है
यह हर बार दिखाया है
वह नाराज हो जाते हैं हमसे हर बार
और हमने उन्हें हर बार अपनी मोहब्बत माना है

61
मोहब्बत भी हम कुछ इस कदर करेंगे
उनसे शिकायतें हैं तो उनसे ही करेंगे
अगर नाराज है तुम्हें तो तुम नाराज मत रहना
मेरी जान हम तुम्हें मनाएंगे और तुम से ही बात भी करेंगे

62
बात सिर्फ मैं उससे ही करता हूं
मुलाकात सिर्फ मैं उससे ही करता हूं
उसके बिना कौन है मेरा इस दुनिया में
नाराजगी उससे ही होता हूं
और मनाया भी उसी को करता हूं

63
अब हर बार क्या मैं ही तुम्हें मना लूंगा
कि हर बार में ही तुम्हें दिल में अपनी जगह दिखाऊंगा
कभी तो तुम भी करो मुझसे मोहब्बत
क्या हर बार में ही तुम्हें अपना बना लूंगा

64
तुमसे कितनी मोहब्बत है हमें यह हम तुम्हें बता चुके हैं
फिर क्यों नाराज होते हो हमसे
हम तुम्हारे लिए सब को दूर कर चुके हैं
अब इस तरह से हमसे नाराज ना रहो
हम तो कब का ही तो है अपना बना चुके हैं

65
तुम्हारी नाराजगी मुझे बहुत परेशान करती है
जब तुम रूठ जाती हो तो फिर मुझे वह बहुत ही बुरी लगती है मैं नहीं रह पाता हूं तुम्हारे बिना एक पल भी
देखो तुम खुश रहती हो तो कितनी खूबसूरत लगती हो

66
अब मैं तुम्हारी क्या तारीफ करूं
तुम्हें तो खुदा ने सबसे नयाब बनाया है
तुम नाराज हो जाते हो हमसे
फिर भी देखूं तुम्हें कितना खूबसूरत बनाया है
मैं तो सिर्फ और सिर्फ तुम्हारा हूं
फिर तुम क्यों मुझसे नाराज हो
जब मैंने तुम्हें अपना दिल बनाया है

67
नाराजगी तुम्हारी अब हम सहन कर नहीं सकते
हम हम किसी और से मोहब्बत कर नहीं सकते
तुम चाहे किसी के भी साथ रहो
हम हम किसी और से चाहत कर नहीं सकते

68
हमने तो जो किया है वह हम करते ही रहेंगे
हम तुमसे मोहब्बत भी करते ही रहेंगे
इश्क में यह सब जायज है नाराजगी भी
तुम रूठती रहना और हम तुम्हे मनाते रहेंगे

69
तुम्हें हम कितना मनाए और
तुम्हें हम कितनी मोहब्बत करें
तुम्हें कैसे दिखाएं अपने दिल में तुम्हारी जगह
और तुम्हारी जैसे चाहत करें

80
मोहब्बत हमें सिर्फ तुमसे ही है
और यह चाहत भी हमें तुमसे ही है
तुम ही तो रहती हो हमारे दिल में
और यह इश्क इबादत भी हमें तुमसे ही है

81
कितनी मोहब्बत करता हूं मैं तुमसे
यह तो मैं दिखा नहीं सकता
लफ्जों में अपनी बात तुम्हें समझा नहीं सकता
तुम हो जाती हो हमेशा मुझसे नाराज
पर मैं तुम्हें कभी खुद से दूर कर नहीं सकता

82
तुम्हारी नाराजगी अब और ज्यादा सहन नहीं होती
तुम जब रहती हो दूर मुझसे
तो फिर मुझे कुछ भी बर्दाश्त नहीं होती
रहो अगर तुम मेरे पास तो अच्छा लगता है
तुम्हारा यह उदास चेहरा मुझे सुकून नहीं देता

83
अब तुम और मुझसे कितना नाराज रहोगी
अब तुम और मुझसे कितना दूर रहोगे
तुम्हारे सिवा किसे माना है मैंने अपना
बताओ अब तुम और मुझसे कितना दूर रहोगी

84
तुमसे कितनी मोहब्बत की है मैंने
तुमसे कितनी चाहत की है मैंने
तुम ही तो रहती हो हमेशा मेरे दिल में
तुमसे कितनी इश्क़ इबादत की है मैंने

85
सफर कुछ ऐसे ही चलता जाएगा
वह हमारा था और हमारा होकर रह जाएगा
हम उसे कहीं नहीं जाने देंगे बुला ही लेंगे
नाराज कितना भी हो हमें वापस गले से लगा है लेगा

86
मोहब्बत हम से कितने भी करले
चाहत हम उनसे कितना भी कर ले
वह हमसे रूठ ही जाते हैं
फिर चाहे हम उन्हें कितनी भी मनाने की कोशिश कर ले

87
और तुम्हें हमें किस तरह से बना हुआ
बताओ वह मैं तुम्हारे लिए क्या कर जाऊं
सब कुछ तो किया है मैंने तुम्हारे लिए
और बता दो फिर मैं कहां जा कर मर जाऊं

90
इतना मनाने की कोशिश की है मैंने
जितना किसी के लिए नहीं किया उतना किया है मैंने
और तुम से ही रहती है मुझे मोहब्बत तो फिर ठीक है
तुम्हारे लिए ही तो सब कुछ किया है

91
मैंने सिर्फ तुम्हें ही चाहा है मैंने इश्क़ सिर्फ तुमसे ही किया है
तुम रूठ जाती हो तो अच्छा नहीं लगता
मैने तुम्हें मनाने का ठेका लिया है

92
यह जो तुम्हारे पास नहीं है
यह मुझे बहुत दुखी करते हैं
तुम रहती हो अगर उदास तो फिर यह भी मुझे उदास करते हैं
मैं तो रहता हूं खुश पर तुम्हारी नाराजगी
से यह मुझे बहुत दुखी करते हैं

93
यह तुम्हारी नाराजगी किस बात की है
मुझे समझ नहीं आता तुम्हारा यह रवैया मुझे समझ नहीं आता मैंने तो सिर्फ हर पल तुम्हें चाहा और मनाने की कोशिश की है फ़िर ये तुम्हारा रूठना मुझे समझ नहीं आता

94
तुम क्यों इस तरह से नाराज हो जाया करती हो
तुम मुझे क्यों इतना सताया करती हो
मोहब्बत क्या नहीं है तुम्हें मुझसे
जो तुम बार-बार नाराज हो जाया करती हो

94
चलिए हम आप को मनाने के लिए क्या करें
आप ही बता दें हम क्या करें
हम तो सारी कोशिश करते थक चुके हैं
अब आप ही बता दीजिए आप से कैसे सुलह करें

95
हर जिंदगी हर सफर मुझे अपना ऐसा ही लगता है
मुझे सब कुछ अब पराया और अपना लगता है
हो रहे कहीं भी मुझे क्या चाहिए
उसे मनाने के सिवा कौन मेरा लगता है

95
देखो आज नाराज बैठा है मुझसे देखो मेरा चांद रूठा है मुझसे मेरे चेहरे की तो रंगत ही चली गई
जब से बात करना छूटा है उससे

96
ने उन्हें मनाने की हर मुमकिन कोशिश की है
उनके सिवा हमने किसी और से दिल लगी नहीं की है
लो हम मान लेते हैं हमारी गलतियों
की हमने ही तुमसे बहुत शिकायतें की हैं
अब तुम मान भी जाओ ना क्या
हमने तुमसे मोहब्बत नहीं की है

97
किस तरह नाराज ना हुआ करो कि
इस तरह में ना बुलाया करो हमें
रखा करो ना थोड़ा तो दिल में
यह इस तरह हर बार नाराज ना जता या करो हमे

98
मुझे किसी की फिक्र नहीं करनी
कोई भी कुछ भी कहे मुझे किसी का ध्यान नहीं रखना
तुम तो यह सब कितनी आसानी से कह देती हो ना
पर मैं कितना पागल हूं जो तुम्हें हर बार मना लेता हूं
सारी गलतियां तुम्हारी भूल कर तुम्हें हर बार माफ कर देता हूं

99
कितनी गलतियां की हैं तुमने
जितना मुझे अपना बनाया है तुमने
मैं तो कुछ नहीं जानता तुम नाराज रहती हो मुझ से देखो
तुम्हें मनाने के लिए क्या-क्या नहीं किया है मैंने

100
इस तरह नाराज ना रहो मुझसे
इस तरह हम दूर ना रहो मुझसे
यह दूरियां मुझे बहुत तकलीफ देती हैं
तुम्हारा हसीन चेहरा याद आता है मुझे हमेशा
पर यह तुम्हारी नाराजगी है मुझे तकलीफ देती है

101
यह तकलीफ कम शायद मेरे साथ ही चाहे
की यह तकलीफ की है जो मुझे कहीं और ले जाएगी
मैंने मनाने की कोशिश बहुत कर ली तुम्हे
पर तुम मानती ही नहीं हो
देखो अब यह मोहब्बत मेरी तुमसे से छूट ही जाएगी

102
तुम्हें हर बार मनाने की कोशिश तो की है ना मैंने
तुम्हें हर बार अपने दिल से लगाने की कोशिश की है ना मैंने फिर आज भी मान जाओ ना ऐसी भी क्या गलती की है मैंने

103
चलो ने अपनी सारी गलतियों की माफी मांगता हूं
तुमसे है जो मोहब्बत अब बस मैं सिर्फ तुम्हें ही जानता हूं
तुम ही रहना अब मेरे पास
मैं तुम्हारे सिवा किसी को अपना नहीं मानता हूं

104
जी क्या करना है यह क्या जीना है
अगर तुम रहोगी मुझसे नाराज
तो फिर मेरा कौन अपना है
तुम ही तो हो एक मेरी मोहब्बत
और तुम्हारे सिवा इस जहां में मेरा कौन अपना है

Over To You:

तो दोस्तों ये थे बेस्ट रूठे नाराज लोगो को मनाने की शायरी, हम उम्मीद करते है की आपको ये सभी शायरी जरुर पसंद आई होगी. अगर आपको ये पोस्ट अच्छी लगी तो पोस्ट को १ लाइक जरुर करे और यदि आपके पास कोई अन्य शायरी है तो उसको भी हमारे साथ कमेंट में जरुर शेयर करे धन्येवाद.

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