महात्मा गांधी पर निबंध – Mahatma Gandhi Essay in Hindi

Mahatma Gandhi Essay in Hindi – नमस्कार दोस्तों आज हम आपके साथ राष्ट्रपति महात्मा गांधी के बारे में बात करने वाले हैं और आज के इस पोस्ट में हम आपको महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में बताने वाले हैं

दोस्तों महात्मा गांधी की वजह से ही आज भारत स्वतंत्र है और भारत को आजाद कराने में और स्वतंत्र कराने में राष्ट्रपति महात्मा गांधी जी का बहुत ही बड़ा हाथ था उन्होंने भारत के लिए जितना भी कुछ किया है वह किसी भी इंसान के लिए कर पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल है

उन्होंने भारत के लिए अपना पूरा जीवन निछावर कर दिया और भारत की जनता कि मदद करने के लिए उन्होंने बहुत संघर्ष किया लेकिन उनका दृढ़ निश्चय और साहस की वजह से आज भारत एक स्वतंत्र देश है

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आज हमको भारतीय नागरिक होने पर बहुत ज्यादा गर्व होता है और हम इसका श्रेय राष्ट्रपति महात्मा गांधी को देते हैं हम अपने इस ब्लॉग पर अब हिंदी निबंध की सीरीज शुरू करने जा रहे हैं जहां पर आपको बहुत सारे अच्छे अच्छे हिंदी निबंध पढ़ने को मिलेंगे

आज के समय पर स्कूल के विद्यार्थी को निबंध लिखने का काम दिया जाता है और हम समझते हैं कि हमारे हिंदी एस्से कलेक्शन की मदद से बच्चों को पढ़ाई लिखाई में काफी ज्यादा मदद होगी तो चलिए दोस्तों आज का निबंध शुरु करते हैं

महात्मा गांधी पर निबंध हिंदी में

Mahatma Gandhi Essay in Hindi

mahatma gandhi essay in hindi

भारत के राष्ट्रपति नव राष्ट्र के निर्माता भाग्य विधाता महात्मा गांधी एक ऐसे व्यक्ति थे जिनके बारे में हम जितना प्रशंसा करेंगे उतना ही कम पड़ता है. हमारी आने वाली पीढ़ी बहुत ही मुश्किल से यह विश्वास कर पाएगी कि महात्मा गांधी जैसा इंसान भी कभी था क्योंकि उन्होंने भारत को आजादी दिलाने में बहुत ज्यादा परिश्रम और मेहनत किया था

वे सत्य अहिंसा और मानवता के पुजारी थे वह उन महान पुरुषों में से थे जो इतिहास का निर्माण किया करते थे. महात्मा गांधी का पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी था उनका जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात काठियावाड़ मैं पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था

उनके पिता राजकोट रियासत के दीवान थे. उनकी माता पुतलीबाई धार्मिक विचारों वाली सरल और बहुत ही सीधी सादी महिला थी

उनका प्राथमिक शिक्षा पोरबंदर तथा राजकोट में हुआ था वह 18 वर्ष की अवस्था में यहां से मैट्रिक की परीक्षा पास करके बैरिस्टरी पढ़ने के लिए इंग्लैंड चले गए थे

उनका विवाह 13 वर्ष की अवस्था में ही कस्तूरबा जी से हो गया था. जब वे बैरिस्टर बंद कर स्वदेश लौटे तो उनकी माता का हाथ उनके सर से उठ चुका था

संयोगवश वकालत करते समय एक गुजराती व्यापारी का मुकदमा निपटाने के लिए गांधी जी को दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा था. वहां जाकर उन्होंने अंग्रेजों द्वारा भारतीयों के साथ किए जा रहे दूसरे व्यवहार को अपनी आंखों से देखा और इस बात से उनको बहुत ज्यादा दुख और तकलीफ हुई

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वहां पर अंग्रेजों ने उनके साथ भी वही दुष्ट व्यवहार किया. एक समय की बात है जब गांधीजी साउथ अफ्रीका गए हुए थे वहां पर वह ट्रेन में चढ़ने का उन्होंने प्रयास किया उनके पास फर्स्ट क्लास की टिकट थी

लेकिन गांधीजी भारतीय थे तब वहां के लोग काले गोरे में बहुत ज्यादा भेदभाव रखते थे इसलिए फर्स्ट क्लास टिकट होने के बावजूद भी गांधी जी को उन अंग्रेजों ने चलती ट्रेन से नीचे धकेल दिया था

लेकिन महात्मा गांधी एक अलग ही किस्म के इंसान थे जो कभी जिंदगी में हार नहीं मानते थे उन्होंने बड़े हौसले के साथ और निडर बन कर अंग्रेजों के इन अत्याचारों का विरोध किया जिसके लिए उन्हें जेल तक जाना पड़ा था

लेकिन अंत में जीत महात्मा गांधी की ही हुई और उनको इस बात के लिए सफलता मिल गई. 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटने पर उन्होंने स्वतंत्रता के लिए अनेक कार्यक्रम में भाग लिया उन्होंने अंग्रेजों के रौलट एक्ट का विरोध भी किया था

और इस चीज के लिए संपूर्ण राष्ट्र ने उनका साथ दिया. स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए गांधी जी ने सत्य और अहिंसा का मार्ग अपनाया और इसके लिए वह कई बार जेल भी चले गए थे उन्होंने सत्याग्रह भी किए

बिहार का नील सत्याग्रह दांडी यात्रा या नमक सत्याग्रह वह खेड़ा का किसान सत्याग्रह गांधी जी के जीवन का प्रमुख सत्याग्रह था

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गांधीजी ने भारतीयों पर स्वदेशी अपनाने के लिए जोर भी डाला था उन्होंने सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन चलाया. गांधीजी के आर्थिक प्रतियों से 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हो गया गांधी जी भारत को रामराज्य के रुप में देखना चाहते थे

गांधीजी छूत छात में विश्वास बिल्कुल भी नहीं करते थे उनका सारा जीवन अछूतोद्धार, ग्राम सुधार नारी शिक्षा और हिंदू मुस्लिम एकता के लिए संघर्ष करने में बीता था

30 जनवरी 1948 को दिल्ली के एक प्रार्थना सभा में जाते समय एक हत्यारे नाथूराम गोडसे ने गांधी जी पर गोली चला दी थी. उसके बाद गांधी जी की गोली लगने से मृत्यु हो गई उनके मुंह से अंतिम शब्द जो निकला था वह था हे राम और उन्होंने अपने प्राण छोड़ दिए

लेकिन उनका जो मेन उद्देश्य था भारत को स्वतंत्र देश के रूप में देखने का उन्होंने अपना सपना को मरने से पहले जरूर पूरा करके दिखाया और पूरे भारत की जनता को उनके संघर्ष और साहस को देखकर बहुत ज्यादा गर्व महसूस होता है

गांधीजी आज के समय पर भले ही हमारे बीच में नहीं है लेकिन वह हमेशा अमर है और हमेशा एक एक भारतीय के मन में उनके प्रति प्यार सम्मान इज्जत है

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आपकी और दोस्तों

दोस्तों यह था गांधी जी पर निबंध ( Mahatma Gandhi Essay in Hindi )  हम उम्मीद करते हैं कि आज का यह हिंदी निबंध पढ़कर आप को गांधी जी के बारे में बहुत कुछ पता चल गया होगा

आप हमारे इस लेख को स्कूल के कामों के लिए इस्तेमाल कर सकते हो और यदि आपको हमारा यह निबंध पसंद आया हो तो कृपया करके इसे दूसरे लोगों के साथ Facebook WhatsApp Twitter और Google plus पर ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि सभी लोगों को पता चल पाए कि भारत को एक स्वतंत्र देश बनाने में गांधीजी का कितना बड़ा हाथ और सहयोग था

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