भूत की सच्ची कहानियां – Horror Stories in Hindi

 भूत की कहानी – हेल्लो फ्रेंड्स कैसे हो आप लोग आज के यह पोस्ट बहुत ही रोमांचक है क्यूंकि इस पोस्ट में हम आपके साथ भूत की सच्ची और दरवानी कहानियां शेयर करने वाले है. दोस्तों इस पोस्ट में आपको best ghost horror stories हिंदी में पढने को मिलेगी जो आपको और कही पर नहीं मिलेगी.

इन में से कुछ कहानी सच्ची घटनाओं पर निर्धारित है और ये बहुत ही डरावनी भी है. वैसे तो हम हमारे इस ब्लॉग पर बहुत सारी हिंदी कहानिया शर कर चुके है जो की लोगो को बहुत पसंद आये है. हमको बहुत लोगो ने रिक्वेस्ट किया की भूत की कहानी शेयर करे जो की सच्ची स्टोरी हो.

तो हमने आज का ये horror stories कलेक्शन आप लोगो के साथ शेयर करने का निर्णय लिया है और दोस्तों इस ghost stories कलेक्शन को पढ़कर आपको बहुत मज़ा आयेगा क्यूंकि ये भूत की सबसे ज्यादा डरावनी कहानियां है तो चलो फ्रेंड्स बिना टाइम बर्बाद करते हुए स्टोरी को स्टार्ट करते है.

भूत की डरावनी कहानी

Horror Stories in Hindi

भूत की कहानी डरावनी

वैभव जो २६ साल का है उसकी अभी अभी नयी शादी हुई है और उसकी एक खूबसूरत से बीवी भी है. वो दोनों हनीमून मनाने हिमाचल गए जहा पर उन्होंने ४ दिन गुजारे. अब उनके दिल्ली अपने घर पर वापिस आने का समय हो गया था.

दोनों अपनी गाड़ी में बैठ गए और दिल्ली के लिए चल पड़े. रात के ११ बज गए थे अब वो हिमाचल की घाटी को पार करने ही वाले हैं. रोड बिलकुल सुनसान थी और गाड़ी बिलकुल तेजी में जा रही थी.

अचानक वैभव को अपनी गाड़ी के आगे एक औरत दिखी जिसने लाल रंग की साडी पहनी थी. वो दूर से हाथ हिला का गाड़ी को रोक रही थी. उसको देख का वैभव की बीवी ने उसे गाडी रोकने से मना कर दिया क्यूंकि उसको डर था की ये कोई लूट पाट करने की चाल हो सकती है.

लेकिन वो औरत गाड़ी के सामने आगई जिससे वैभव को गाडी रोकनी पड़ी. वो औरत जोर जोर से दरवाजे को पीटने लगी उसके चेहरे के हव भाव से ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी बड़ी मुसीबत में हो.

वैभव की वाइफ ने उसे गाड़ी का दरवाज़ा खोने से मना कर दिया उसकी बीवी ने कहा की ये कोई चाल हो सकती है हमे बहार नहीं जाना चाहिए. लेकिन वैभव ने बोला की अगर सच में ये किसी मुसीबत में होगी तो और उसे हमारी जरुरत हो क्यूंकि उसको देख कर वो अच्छे खासे घर की औरत लग रही थी.

ये बोलते ही वैभव ने गाडी का दरवाजा खोल दिया और बहार आ गया. वो औरत घबराते हुए बोली प्लीज, भगवान के लिए मेरी हेल्प करो. वैभव ने बोला क्या हुआ है और तुम इतनी डरी हुई क्यों हो?

उस औरत ने उत्तर दिया की मेरी गाडी निचे खाई में गिर कर एक पेड़ से टकरा गयी है और उसमे मेरी छोटी से बच्ची फासी हुई है. प्लीज मेरी बच्ची को बहार निकालने में मेरी मद्दद करो.

ये सुनते ही वैभव की बीवी भी गाड़ी से बहार निकल आई और तीनो खाई की और भागे. उन्होंने देखा की वो गाड़ी थोड़ी निचे एक पेड़ से टकराई हुई है. वैभव तुरंत निचे की और गया और उसने देखा की पीछे वाली सीट पर एक बच्ची बैठी थी.

वो बच्ची रो रही थी. वैभव ने दरवाजा खोलना चाहा पर वो दरवाजा नहीं खुला. दरवाजा अटका हुआ था. उसने बहुत कोशिश करी तब उसके बाद दरवाजा खुल गया. वैभव ने उस छोटी बच्ची को बहार निकाला और उसको अपनी गोद में पकड़ लिया.

लेकिन छोटी बच्ची अभी भी रोए जा रही थी वो मम्मी मम्मी चिल्ला रही थी. तभी वैभव की नजर आगे वाली ड्राइविंग सीट पर गयी जहा उसे कोई बैठा हुआ लगा. लेकिन आगे वाली गाड़ी का शीशा धुंदला था जिसकी वजह से साफ़ नजर नहीं आ रहा था.

उसने अपने कपडे से उसे साफ़ किया और जो वैभव ने देखा उसे देख कर उसके पैरो तले जमीन ही खिसक गयी. उसको विश्वास ही नहीं हो रहा था जो उसने देखा.

वैभव ने देखा की आगे वाली सीट पर और कोई नहीं उस बच्ची की माँ थी जो मद्दद के लिए वैभव को बुला रही थी. उसने देखा की वो औरत के माथे से खून निकल रहा था और उसकी मौत हो चुकी थी.

वैभव की पत्नी ने वैभव की हालत देख कर तुरंत उसके पास आगई और वो भी ये मंजर देख कर पूरी तरह से हैरान हो गयी. ये देखते ही वैभव और उसकी पत्नी ने पीछे की और देखा जहा पर वो औरत खड़ी थी लेकिन वहा पर अब कोई भी नहीं था

देखो – भूत की असली फोटो

भूत की सच्ची कहानी

भूत की सच्ची कहानियां

शाम के ५ बज रहे थे उसकी वक्त मेरा मोबाइल बज उठा सामने अजय था हमेशा की तरह वो प्यार से बोला जानेमन क्या कर रही हो? मैंने कहा कुछ नहीं बस अब ऑफिस से निकल पर pg जाउंगी, तुम क्या आ रहे हो?

और सामने से जो सुना उस पर विश्वास नहीं हुआ अजय बोला जान पैकिंग कर लो हम घुमने जा रहे है आज शुक्रवार है सोमवार की भी छुट्टी है और मंगलवार की मई छुट्टी ले लूँगा तुम बस पैकिंग करो और रस्ते के लिए कुछ खाना पैक करवा लेना में जल्दी पहुँचता हु.

अजय भी ना, सरप्राइज कर देता है कभी कभी, पिछले एक महीने से इसी बात पर हमारी बहस चल रही थी, में उसे कह रही थी लॉन्ग वीकेंड आ रहा है प्लान बनाओ, पर उसने अपने घर जाने की रट लगा रखी थी.

हम दोनों ही गुडगाँव में जॉब करते थे और अलग अलग pg में रहते थे. हफ्ते में ३ से ४ बार मिल लेते थे पर वीकेंड पर अजय का घर जाना जरुरी ही था उसके मम्मी पापा उसका इन्तेजार करते है.

मेरा अपना कहने का कोई नहीं था इस दुनिया में चाचा ने बचपन में पाल दिया, पढ़ा लिखा दिया अब जब वो नहीं रहे तो पिछले २ साल से pg में रहने आ गयी थी. यहाँ पर अजय से मुलाकात हुई और कब मुलाकाते प्यार में बदल गई पता ही नहीं चला.

हम दोनों उम्र के ३० बसंत देख चुके थे अब हमारे प्यार में लड़कपन नहीं था. एक गंभीरता थी पर हम दोनों एक साथ लिव इन में रहने की हिम्मत नहीं जुटा पाए.

खैर यह तो हुआ परिचय अब अपनी कहानी पर आती हु उस दिन जैसे मेरे पैरो को पंख लग गए थे, में बहुत खुश थी अजय के साथ इतने दिन बिताने की कल्पना से ही में सिहर उठी थी.

में जल्दी से सब जरुरी चीजे पैक की, अपने वाल्किंग शूज कसे और रेडी थी तभी फ़ोन पर मिस कॉल यानि अजय आ गया मैंने जल्दी ही सामान गाड़ी में रखा, और बैठते ही अजय को चूम लिया वो भी बहुत खुश हो गया. उसने कहा रुबिन तैयार रहो हम्म एन्जॉय करेंगे.

हम पूरी रात ड्राइव करते रहे और जब सुबह की पहली किरण उदित हुई तो हम उत्तराखंड के एक छोटे से हिल स्टेशन पर पहुँच चुके थे वहा हमने थोडा घूम घाम कर देखा. हम रहने के लिए नदी किनारे एक शांत सी कॉटेज मिल गई.

रूम बहुत बढ़िया था बड़ी बड़ी खिडकिया और सामने खूबसूरत नदी अजय जनता था मुझे क्या पसंद है. हमने जल्दी से फ्रेश हो कर पहले अपनी नींद पूरी करने का प्लान बनाया पर बेड पर आते ही वो रोमांटिक मूड में आ गया और थोडा रोमांस के बाद बहुत अच्छी नींद आई.

मेरी आंख ३ बजे खुली अजय अभी भी सो रहा था. मैंने उठकर अपने कपडे पहने और खाने के लिए कुछ सर्च करने लगी तभी मुझे लगा जैसे कोई गुनगुना रहा हो मैंने दरवाजा खोला तो लॉबी के आखरी हिस्से में बड़ी से खिड़की पर एक लड़की अपना सर टिकाये खोई हुई सी गुनगुना रही थी.

उसकी पीठ मेरी और थी और उसके बाल घुंगरालू बिखरे हुई, काले, मुझे लगा यहाँ कोई और भी है, चलो अच्छा है साथ में कोई अपनी उम्र का है ट्रेनिंग में मजा आयेगा तभी अजय ने मुझे आवाज दी. जान कहा गयी.

और तभी उस लड़की ने मूड कर मुझे देखा वो बहुत ज्यादा गोरी थी, मुझे देखा वो मुस्कुरा दी मैंने भी मुस्कुराकर रेल्प्य दिया. मैंने तैयार होकर लगभग ४ बजे के करीब कसबे की और निकले. में और अजय दोनों भूक से परेशान थे.

आगे कुछ दुरी पर एक छोटा सा ढाबा दिखा वहा हमने चाय और आलू के पराठे खाए. ढाबे का मालिक एक बुढा सा आदमी था, वो कहने लगा आप लोग कहा रुके हो. हम लंच बॉक्स भी भेज सकते है.

जब हमने बताया हम कहा रुके है तो उस बुढे और ढाबे पर २,३ लोग की आंखे फ़ैल गयी. कोई कुछ बोला तो नहीं पर कनाखुशी होने लगी थी. मुझे थोडा अजीब लगा पर हम उस वक़्त वहा से निकलकर निचे बाज़ार की तरफ घुमने निकल गए.

आते वक़्त रात का खाना पैक करवा हम कोई ७ बजे के लगभग कॉटेज पहुंचे! मेन गेट पर शिबू मिल गया, वो कॉटेज का केयर टेकर था. उसने बताया यहाँ सिर्फ ब्रेकफास्ट और चाय कॉफ़ी ही मिल सकती है.

पर पीछे की तरफ रसोई है जहा आप खुद खाना बना सकते हो. अजय उससे आसपास घुमने की जगह पूछने लगा और रूम की तरफ बड चली. लॉबी पर पहुँचते ही मुझे ठंडी हवा का एहसास हुआ. में चाबी से दरवाजा खोल ही रही थी मुझसे साथ के कमरे से धीमी संगीत की आवाज़ आई.

बहुत ही मधुर पर उदास सा, मुझे अचानक वो लड़की याद आ गयी पीछे पीछे विक्रम था. वो कहने लगा अन्दर चलो यहाँ क्यों खड़ी हो. एक राउंड और हो जाये उसकी आँखों में शरारत थी. में बस उसकी आँखों में खो गयी. में उससे दीवानों की तरह प्यार करती थी.

मेरे लिए सिर्फ वो ही तो था, उसका प्यार जिस शर्त पर मिले वह मुझे मंजूर था. उस रात में बहुत सुकून से थी अजय की बाहों में, बहार कब बारिश शुरू हो गयी पता ही नहीं चला. मुझे प्यास लगी थी.

फ़ोन उठाकर देखा तो रात के २ बज रहे थे. बारिश के रिमझिम और रात का सन्नाटा अलग ही दुनिया लग रही थी. मैंने अजय को देखा वो किसी छोटे बच्चे की तरह सो रहा था. मैंने उठकर खिड़की खोली और बारिश के बूंदों को अपने चेहरे पर महसूस करने लगी.

तभी साथ वाले रूम से किसी की रोने की आवाज़ आने लगी कोई आदमी जोर जोर से बोल रहा था और कोई लड़की रो रही थी, उनकी आवाज़े क्लियर नहीं थी जैसे दबी दबी सी थी. खिड़की बंद करने की आवाज़ से अजय भी उठ बैठा और वो कहने लगा रुबिन तुम रात को खिड़की क्यों खोल रही हो.

यह कॉटेज नदी के पास है जंगली जानवर भी आ सकते है! मैंने तब दिन में मिलने वाली वो बिखरे बालो वाली लड़की का जिक्र किया मेरा ख्याल था की वो कोई विदेशी है. अजय बोला उन्हें छोड़ो, कल तुम्हे एक वाटर फॉल पर लेकर जाऊंगा अभी इधर आयो और मुझसे लिपट जाओ!

सुबह बड़ा फ्रेश मूड था हम जल्दी से नास्ता करके वाटर फॉल की तरफ निकल पड़े, जाते जाते शिबू ने कहा आप वाटर फॉल निचे से ही देखिये गा और ऊपर टॉप पर नहीं जाये. वो टॉप से फिसलकर बहुत लोग मर चुके है.

लगभग ३ किलोमीटर की ट्रैकिंग करके हम उस वाटर फॉल तक पहुंचे, वहा काफी चहलपहल थी. टूरिस्ट के साथ साथ लोकल लोग भी थे. रविवार जो था वाकई बहुत खूबसूरत जगह थी हम भी वहा फोटो लेने लगे.

वहा पर एक छोटा सा लड़का लगभग जला हुआ पतीला, maggie और कुछ कोल्ड ड्रिंक की बोतल लिए बैठा था. अजय ने उससे कहा maggie के साथ साथ चाय पिला सकते हो? उसने हां कहा.

अजय उससे बाते करने में बिजी हो गया, में कैमरा लिए थोडा और ऊपर की और चड़ने लगी, एक पतली सी उबड़ खाबड़ पगडंडी सी थी जो वाटर फॉल के साथ साथ चल रही थी. मुझे लगा जहा अजय बैठा है उससे शोर्ट ऊपर से जाकर लिया जाये तो वाटर फॉल की बढ़िया पिक्चर आयेगी.

अभी थोडा आगे ही बड़ी थी की अचानक वो उलझे बालो वाली लड़की मुझे अपने आगे दिखाई दी. वो बहुत तेजी से आगे बड रही थी. में लगभग भागते हुए उसके पास पहुंची, मैंने हाथ आगे बढाया ही था की वो पलटी में शोक हो गयी और मैंने कहा हेल्लो वो मुस्कुरा दी.

मैंने बात आगे बढ़ाते हुए कहा तुम क्या यहाँ पर अकेली हो? उसने नहीं कहा. उसका चेहरा गोल और बहुत गोरा था, पर आंखे एकदम काली. उसके बालो की तरह वो बहुत ही सुंदर थी.

मैंने उससे पूछा तुम कहा से आई हो? इस बार वो धीमी आवाज़ में बोली में भी हुन्दुस्तानी ही हु. मैंने कहा oh! मुझे लगा की तुम विदेशी हो, वो हलके से हस दी तभी मेरी खोज में अजय आ गया.

मैंने परिचय करवाया ” में रुबिन और ये मेरे हस्बैंड अजय”, मैंने झूट बोला. उसने अपना नाम सारा बताया. अजय ने चाय पीने का ऑफर दिया पर उसने मना कर दिया वो छोटी की और बढ़ चले जा रही थी तभी अजय ने उससे कहा की सम्हल कर जाना और उसने स्माइल दे दिया.

हम लगभग २ घंटे वही बैठे रहे पर सारा वापिस निचे की ओर नहीं आई. मैंने कहा चलो बाज़ार घूम आते है पर अजय का मूड कुछ और था. हम वापिस कॉटेज पहुंचे. वापिसी के सारे रास्ते अजय शरारत करते हुए आया था.

कभी गले लगा लेता कभी चूम लेता कभी गोदी में उठा लेता. मुझे लग रहा था काश ये वक़्त यही रुक जाये हम हमेशा यही रह जाये. जब मेरी नींद खुली अजय बिस्तर पर नहीं था, में कपडे पहेनते हुए उसे आवाज़ देने लगी पर कोई जवाब नहीं आया.

अजय कही पर भी नहीं था, तभी बहार लॉबी में कुछ आवाज़ आई मैंने दरवाज़ा खोला तो अजय बहार उस खिड़की के पास खड़ा था जहा मैंने सारा को पहली बार देखा था. उसी तरह सर टिकाये हुए बहार देखते हुए.

जनाब कहा खो गए? अजय पलटा, और बोला मुझे कोई उदास सी धुन सुनाई दी और उसका पीछा करते करते यहाँ आ गया! साथ वाले दरवाज़ा हल्का सा खुला हुआ था, मुझे अजीब लगा, सारा वापिस आई की नहीं?

मैंने देखा तो रूम बिलकुल खाली था पलंग पर कोई भी चादर नहीं थी मुझे लगा की सारा चली गयी है! हमने निर्णय लिया की आज डिनर खुद ही बनायेंगे. अजय ने शिबू से चिकन और वोडका ले आने को कहा.

हमने कॉटेज के आंगन में आग जलाई साइड में ही चुला मंगा लिया, वोडका देख शिबू भी हमारे साथ बैठा. में चिकन पकाने लगी रात बढती जा रही थी शिबू २ पैक लगाने के बाद सेंटी हो गया था और कहने लगा, बाबूजी हमे भी दिल्ली ले चलो, हमको साथ रख लेना सेवा कर देंगे.

अजय उसे समझाने लगा अरे तुम तो जन्नत में रहते हो, यहाँ काम भी कम है और यहाँ आराम से रहो. आज तो कॉटेज में हम अकेले ही गेस्ट है.

शिबू ने कहा साहब पिछले कुछ महीनो से आप ही अकेले गेस्ट हो. में और अजय एक दुसरे की शकल देखने लगे, हमने कहा अच्छा एक कपल और भी था हमारे साथ वाले रूम में. आदमी को तो देखा नहीं, पर लड़की से में कॉटेज और फिर वाटर फॉल पर मिली.

क्यों जूट बोलते हो ऐसा कहकर शिबू का चेहरा सफ़ेद पड़ गया वो कुछ भी नहीं बोला. अजय ने कहा क्या हुआ शिबू अपना गला साफ़ करते हुआ बोला, साहब में अपनी माँ की कसम खाता हु आप यहाँ अकेले ही गेस्ट हो और आप यहाँ आगये नहीं तो में खुद अपने गाव जाने वाला था.

मैंने कहा फिर वो लड़की कौन थी? कहा से आई? शिबू ने बताया इस कॉटेज के बारे में बहुत कहानिया फैली हुई है. ये बहुत पहले अंग्रेजो के ज़माने में किसी सहाब बहादुर का घर था, और यहाँ पर कुछ मौते भी हुई थी.

तब से आस पास के लोग यहाँ आवाज़े सुनने लगे, कभी को उदास सी धुन, कभी लड़की के गाने की तो कभी रोने की, मेरा ये सुनकर खून जम गया था, पर शिबू हमे कहा की आज तक ऐसा ना देखा और ना सुना. में तो रोज यही रहता हु और कभी कुछ नहीं देखा.

डिनर जैसे तैसे निपटा के हम दोनों रूम में आ गए. अजय मुझे बोला की चरसी है कहा इसकी बातो पर आ रही हो. पर अंदर से वो भी डरा हुआ लग रहा था. वोडका उतर चुकी थी और नींद भाग गयी थी.

में और अजय इधर उधर की बाते करते हुए टाइम पास कर रहे थे. रात के १० बज गए थे, बारिश शुरू हो गयी थी बात करते करते हम कब सो गए पता ही नहीं चला.

रात के किसी वक़्त मुझे लगा जैसे मेरे ऊपर कोई झुका हुआ है मैंने आंख खोली तो सारा थी! सारा कंधो से पकड़कर मुझे उठा रही थी. मेरा नाम बार बार पुकार रही थी. उसकी आवाज़ किसी कुवे से आती हुई लग रही थी.

में डर कर उठी सारा मेरा हाथ पकड़कर मुझे खिचती हुई अपने साथ ले जाने लगी. डर के मारे मेरे गले से आवाज़ तक नहीं निकल रही थी. मैंने पीछे मुड कर देखा अजय बिस्तर पर ही था! सारा मुझे साथ वाले कमरे में लगाई.

उस कमरे की शकल ही बदली हुई थी, हौल के कोने में बड़ी सी कुर्सी पर एक अंग्रेज रोबीला सा आदमी बैठा हुआ voilen बजा रहा था. उदास धुन, उसकी आंखे बंद थी सारा उसके पैरो के पास जाकर बैठ गयी और रोने लगी.

सारा ने उसका हाथ अपने हाथ में लिया और कहने लगी प्लीज अल्बर्ट मत जाओ मुझे छोड़कर मत जाओ, पर उस आदमी पर कोई फर्क नहीं पड़ रहा था.

सारा का चेहरा लाल हो गया था, अचानक वो आदमी खड़ा हुआ, और मेरी ओर बड़ने लगा मै जड़ थी जैसे मेरे आँखों के सामने कोई पिक्चर चल रही थी, तभी सारा के हाथ में, ना जाने कहा से बन्दुक आ गयी थी.

सारा फिर बोली अल्बर्ट रुक जाओ. पर वो आदमी आगे बढता ही जा रहा था. और फिर एक धमाका और ढेर सा धुवा, और तब पहली बार मेरे गले से चीख निकली अजय और शिबू भागते हुए मेरे पास आये.

में उस कमरे में जड़ खड़ी हुई थी और लगातार चीखे जा रही थी वहा कुछ भी नहीं था, अजय मुझे उठाकर अपने कमरे में लाया, मुझे पानी पिलाया, में पसीने में भीगी हुई थी, वो बार बार मुझसे पूछ रहा था क्या हुआ?

क्या हुआ? पर में कुछ बता नहीं पा रही थी, फिर कब में बेहोश हो गयी पता नहीं लगा. जब मेरी आंख खुली सुबह हो गया था अजय परेशान सा मेरे सिरहाने बैठा हुआ था. रूम के दुसरे कोने में शिबू दिवार से सर लगाकर खड़ा था, मैंने उठने की कोशिश की तो अजय ने मेरी मद्दद की ऐसा लग रहा था जैसे में सदियों से बीमार हु बहुत कमजोरी लग रही थी.

शिबू को अजय ने कॉफ़ी बना कर लाने को कहा, फिर मुझे बाहों में भरते हुए कहा क्या हुआ था? रुबिन तुम रात को वहा क्यों चली गयी थी?

मैंने सारी बात बता दी अजय सुन पर सन्न रह गया, उसने जैसे तैसे पैकिंग की मुझे सहारा दे कर तैयार करवाया और हम निकल पड़े कॉटेज से जैसे जैसे दूर जा रहे थे मेरे शरीर में जैसे जान आती जा रही थी.

हम बाजार में पहुँच गए, अजय ने उस छोटे से ढाबे पर गाड़ी रोक दी वो बुढा चाय बना लाया अजय और मेरी सफ़ेद शकल देख कर वो बोला साहब हम तो पहले ही दिन आपको बताने वाले थे.

पर शहर के लोग ऐसे बातो को कहा मानते है, फिर जो उसने कहानी सुनाई वो इस प्रकार थी – यह बात उस ज़माने की है, जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने वाले थे यह कॉटेज अंग्रेज अफसर अल्बर्ट केथ की थी.

उसकी फॅमिली इंग्लैंड में थी वो लगभग ४० साल का हट्टा कट्टा आदमी था, कुछ साल पहले वो बंगाल से एक लड़की सारा को अपने साथ ले आया था, वो बेचारी उससे बहुत प्यार करती थी. पर जब अंग्रेज भारत छोड़कर जाने लगे तो अल्बर्ट सारा को छोड़कर जाने लगा उसे वो साथ कैसे ले जाता इंग्लैंड में उसकी बीवी और ४ बच्चे थे.

सारा सारी जिंदगी जिसे प्यार समझ रही थी वो तो बस मन बहलाव था, उसने बहुत कोशिश की अल्बर्ट ना जाये पर वो ना माना और फिर सारा ने उसे गोली मार दी और खुद वॉटरफॉल से छलांग मार कर सुसाइड कर ली. तब से ही उनकी आत्मा भटक रही है.

में सारे रास्ते यही सोचती हुई आई की, क्यों सारा ने मुझे चुना क्या वो कुछ बताना चाहती थी, मुझे इशारा करना चाहती थी?

जब गुडगाँव करीब आने लगा तो मैंने अजय को कहा क्या तुम भी मुझे छोड़कर तो नहीं जाओगे हमारे रिश्ते का भी तो कोई ना नहीं अजय मेरी और हैरानी से देखने लगा वो कुछ नहीं बोला.

जिंदगी वापिस आ कर फिर बिजी हो गयी. एक शाम मेरा फ़ोन बजा – हेल्लो जानेमन रेडी हो जाओ मम्मी पापा आ रहे है. उस उलझे बालो वाली लड़की ने मेरी जिंदगी सुलझा दी थी.

Ghost stories in Hindi

ghost horror stories in hindi

अरुण एक बिमा कंपनी में काम करते है. उनकी कंपनी उनको एक जगह से दुसरे जगह ग्राहक से मिलने के लिए भेजती रहती है जिसके कारण वो अपने घर एक ठिकाने पर नहीं रख सकते थे.

इस बार उन को नेपाल के छोटे से पहाड़ी इलाके में जाना था करीब १ महीने के लिए. इसलिए इस बार उन्होंने अपनी पत्नी को भी साथ ले लिया.

परिवार में सिर्फ वो और उसकी पत्नी ही रहती थी. अरुण और उसकी पत्नी दोनों नेपाल के लिए निकल पड़े वैसे भी ठण्ड का मौसम था और नेपाल में ऊपर से बहुत तेज बर्फ पड़ रही थी.

वो लोग अपने घर पहुँच चुके थे. अपने घर तक पहुँचने के लिए उनको बहुत संघर्ष करना पड़ा क्यूंकि घर छोटे से गाव में एक पहाड़ी इलाके में था. जिसकी वजह से दोनों बहुत थक चुके थे.

रात के १२:३० बज चुके थे. जहा वो रह रहे थे वहा दुसरे घर एक दुसरे से बहुत दूर दूर थे. बाहर जोरो से ठंडी हवा और बर्फ गिर रही थी. दोनों अपने रजाई में घुसकर आराम ही कर रहे थे की अचानक उनको लगा की किसी ने उनके घर का दरवाजा नॉक किया है.

फिर उन्होंने सोचा की क्या पता तेज हवा चलने की वजह से ऐसा हो रहा है और उस आवाज़ को वो इग्नोर कर दिया. अगली सुबह अरुण जिस काम के लिए आया था उसके लिए वो निकल पड़ा उसकी पत्नी घर में अकेली ही थी.

उसको समझ नहीं आ रहा था की वो घर में बैठे क्या करे उसने सोचा की चलो क्यों ना बाहर जा कर ही कुछ देख लिया जाये. बाहर बहुत ज्यादा ठण्ड थी पर हवा नहीं चल रही थी. इसी लिए उसने अपना स्वेटर पहना और बाहर निकलने को तैयार हो गयी.

जैसे ही उसने अपना घर का गेट खोला वैसे ही देखती है की घर के पास बने एक खम्बे के पीछे एक छोटा सा बच्चा खड़ा है. जो उसको चुपके चुपके देख रहा है. अरुण की पत्नी ने उसको पानी और बुलाया पर वो नहीं आया और वो वहा से भाग गया.

अगले दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ वो लड़का उसको फिर से घूरे देखा जा रहा था इस बार उसकी पत्नी ने उस बच्चे को पकड़ लिया और पूछा की तुम यहाँ क्या कर रहे हो?

उस बच्चे ने कुछ नहीं बोला और ना ही कुछ बताया. अरुण की पत्नी ने उससे उसके घर के बारे में पूछा तब भी वो कुछ नहीं बोल रहा था. आखिर में उसका नाम पूछने पर उसने अपने धीमी सी आवाज़ में अपना नाम सूर्य बताया और फिर वहा से भाग गया.

उसको उसका व्यव्हार कुछ समझ नहीं आया. ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा वो बच्चा रोज उसको खम्बे के पीछे से निहारता रहता था. उस दिन सन्डे की रात थी दोनों घर में लकड़ी के सामने बैठकर आग सेक रहे थे क्यूंकि बहार की हालत बहुत ख़राब थी. इतनी घराब की कोई थोड़ी देर के लिए बहार निकल जाये तो उसकी जान चली जाये.

अचानक दरवाजा किसी ने नॉक किया उन दोनों को फिर से लगा की शायद हवा की वजह से ऐसा हो रहा हो. तभी फिर से किसी ने दरवाजे पर नॉक किया. इस बार नॉक की आवाज़ साफ़ आरही थी.

ये आवाज़ सुनकर दोनों डर गए क्यूंकि इतनी रात को वो भी जान ले लेने वाली ठण्ड में आखिर कौन हो सकता है. दोनों केवल एक दुसरे का मुह देख रहे थे. अचानक दरवाज़े के बहार से धीरे धीरे रोने की आवाज़ आने लगी. तभी अरुण ने जोर से आवाज़ में बोला ” कौन है बहार”

कुछ देर तक आवाज़ तो नहीं आई पर बाद में एक धीमी से आवाज़ आई ” दरवाजा खोलो” ” प्लीज दरवाजा खोलो बहुत ठण्ड है. ये आवाज़ किसी छोटे से बच्चे की थी. तभी अरुण की पत्नी को ये आवाज़ जानी पहचानी लगी उसने कहा की ये तो वही बच्चे की आवाज लगती है जो रोज घर के बहार खड़ा रहता था.

अरुण की पत्नी ने कहा की हमे उसे अन्दर लाना चाहिए. वो भागते हुए अभी दरवाज़े के पास जा ही रही थी की अचानक उनके घर के फ़ोन की घंटी बजी. फ़ोन एक पड़ोस में रहने वाली औरत का था जिससे आज ही अरुण की पत्नी मिल कर आई थी.

अरुण की पत्नी ने फ़ोन उठाया. वहा से उस औरत की आवाज़ आई हेल्लो, जी में आपको बताना भूल गयी थी की अगर आपके घर के बहार कोई भी दरवाज़ा नॉक करे तो दरवाजा मत खोलना.

अरुण की पत्नी ने कहा की अभी अभी मेरे घर के बहार एक बच्चे की आवाज़ आरही है जो दरवाजा खोलने को कह रहा है. तभी उस औरत ने कहा की – नहीं आप बिलकुल मत खोलना, वो असल में एक आत्मा है. यहाँ जब जब तेज अंधी और ठण्ड पड़ती है वो तब तब सबके घर के बहार जाता है और दरवाजा खोलने को कहता है.

वो ठण्ड का बहाना बनाता है और दरवाजा खुलवाने की कोशिश करता है. अगर कोई गलती से भी दरवाजा खोल देता है तो वो अगले दिन बर्फ में दबा हुआ मिलता है. ये सुनते है जैसे पैरो से जमीन खिसक गयी. वो सोचने लगी की जो बहार दरवाजा नॉक कर रहा है वो असल में एक आत्मा है.

उन्होंने ने दरवाजा नहीं खोला अगले दिन ही वो दोनों भाग कर पडोसी के पास गए और पुरे मामले के बारे में पूछा. उस औरत ने बताया की इस गाव में एक परिवार रहता था पहाड़ टूटने की वजह से उस परिवार का विनाश हो गया बस एक बच्चा बच गया था.

वो दुसरो के घर जा जा कर खाना मांगता. एक दिन बहुत जोरो से बर्फ की अंधी पड़ रही थी. वो दुसरो के घर के बहार दरवाजा नॉक कर घर के अन्दर आने को गुहार लगा रहा था. पर किसी ने भी उसकी पुकार नहीं सुनी ठण्ड की वजह से सब अपने घरो में घुसे रहते थे.

अगले दिन उस बच्चे की लाश बर्फ में अकड़ी हुई मिली और वो बच्चे की मौत हो गयी थी. आज भी कभी भी जोरो की बर्फ की आंधी आती है तो उसकी आत्मा सबके घर के पास आती है और गुहार लगाती है. ये सब सुनकर दोनों हैरान हो गए.

लेकिन वो वहा १ महीने जब तक रहे तब तक ३-४ बार उनके साथ ऐसा ही हुआ. लेकिन अरुण का काम खत्म हो जाने पर वो वहा से चले गए. लेकिन अरुण की पत्नी के दिमाग में एक रहस्य हमेशा बना रहा की उस घटना के बाद जो बच्चा उसे रोज घर के बहार दीखता था वो कभी नहीं दिखा.

पढ़े – क्या भूत सच में होते है

आपकी और दोस्तों

तो दोस्तों ये था भूत की सच्ची और दरवानी कहानियां ( Ghost horror stories in hindi ), हम उम्मीद करते है की आपको ये सभी भूत की कहानी जरुर पसंद आई होगी और आपको डर भी लगा होगा.

फ्रेंड्स यदि आपको हमारी ये भूत की स्टोरी रोमांचक लगी तो अपने दोस्तों और घर परिवार वालो के साथ फेसबुक और whatsapp पर जरुर शेयर करे ताकि वो लोग भी इन डरावनी और सच्ची भूत की कहानियां पढ़ सके. धन्येवाद दोस्तों.

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