अंत भले का भला पर कहानी स्टोरी
अंत भले का भला पर कहानी – हेलो दोस्तों आज की स्टोरी में आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, आज की कहानी दो भाइयों की कहानी है जिसको पढ़कर आपको बहुत ही अच्छा लगेगा और इस कहानी में आप लोगों को एक बहुत ही अच्छी सीख मिलेगी.
इसलिए हम आप लोगों से यह रिक्वेस्ट करेंगे कि आप इस कहानी को पूरे अंत तक पढ़े हैं, और हम उम्मीद करते हैं कि आज की यह कहानी आप लोगों को बहुत ज्यादा पसंद आएगी. चलिए दोस्तों आज की कहानी की शुरुआत करते हैं.
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अंत भले का भला पर कहानी स्टोरी
सूरज और रतन दो भाई थे सूरज बड़ा भाई था और रतन छोटा भाई. बड़ा भाई बहुत ज्यादा चालाक था लेकिन छोटा भाई बहुत सीधा साधा था. सूरज अपने छोटे भाई से सभी काम करवाता और अपना दिन भर आराम करता रहता.
रतन बहुत ज्यादा भोला-भाला था इसलिए वह अपने बड़े भाई सूरज की चालाकी नहीं पहचान पाता था. लेकिन एक बात रतन को बहुत ज्यादा खराब लगती थी कि चाहे वह दिन में कितना भी काम कर ले उसको रात को खाने में ४ सूखी रोटियां ही मिलती थी.
एक दिन वह खेत में काम कर रहा था. कुछ देर बाद उसको याद आया कि उसने बीज की टोकरी घर पर ही भूल आया है. वह तुरंत ही अपने घर की ओर निकल पड़ा. जब वह घर पहुंचा तब उसने देखा कि उसके भाई और भाभी घर पर नहीं थे.
जैसे ही वह घर में घुसा तब रसोई से बहुत ही अच्छी खुशबू आने लगी जिसकी वजह से उसके कदम रुक गए. लेकिन जैसे ही वह रसोई में घुसा तब उसने देखा कि वहां पर बहुत ही स्वादिष्ट पकवान बने हुए थे.
लेकिन उसको यह बात समझ में नहीं आ रही थी कि इतना अच्छा खाना किसके लिए बनाया जा रहा है और उसने कभी भी ऐसा खाना अपने घर में नहीं चखा था. उसको यह समझ में नहीं आ रहा था कि आज तू ना ही कोई त्यौहार है ना ही कोई घर में मेहमान आने वाला है तब इतना सब अच्छा खाना किसके लिए बनाया गया है.
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लेकिन धीरे-धीरे उसके दिमाग में बात आ गई थी जब वह खेत में हल चलाता है और मेहनत करता है उसके भैया और भाभी घर में बैठकर अच्छे-अच्छे पकवान का मजा लेते हैं. इस बात से उसको बहुत ज्यादा दुख हुआ.
निराश मन से वो खेत मे वापस लौट गया. दुखी मन से उसने अपना खेत का काम पूरा किया लेकिन जब वह शाम को घर पर आया तब भाभी ने उसे फिर से सूखी ४ रोटी खाने को दिया.
यह देखकर रतन से बिल्कुल भी रहा नहीं गया. उसने अपनी भाभी से कहा कि आज तो घर में बहुत अच्छा अच्छा और स्वादिष्ट खाना बना हुआ था लेकिन मेरे लिए केवल चार सूखी रोटी क्यों?
यह सुनकर उसकी भाभी चौक पड़ी और पास में ही उसके बड़े भैया और उसने मुस्कुराते हुए कहा- रजन ऐसा तुम्हारे साथ इसलिए हो रहा है क्योंकि तुम्हारा भाग्य सात समुंदर पार सो रहा है. और जब तक तुम उसे जगा नहीं दोगे तब तक तुम्हें चार रोटी से गुजारा करना पड़ेगा.
रतन ने अपने बड़े भाई का कोई भी उत्तर नहीं दिया और वह रोटी को वहीं छोड़ कर चला गया. उसके भैया और भाभी ने उसे रोकने की कोशिश की लेकिन रतन का दिल बहुत ज्यादा टूट चुका था और उससे यह अन्याय बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं हो रहा था.
उसे पता चल गया कि अपने भाग्य को चमकाए बिना उसे दुनिया में कोई सुख नहीं मिल सकता है. चलते चलते वह जंगल में पहुंच गया अचानक उसकी नजर एक पेड़ पर पड़ी और उसने देखा कि एक सांप पेड़ पर चढ़ रहा है और उसका नजर ऊपर घोसले में रखे गिद्ध के अंडे थे.
रतन ने बिना कोई देर करें तुरंत ही सांप को तलवार से कुचल दिया. पहले से वह बहुत ज्यादा उदास और थका हुआ था तब वह पेड़ के नीचे ही आराम करने लग गया. कुछ देर बाद जब गिद्ध लौट कर आया तब उसने देखा कि पेड़ के नीचे मरा हुआ सांप था और वहीं पर एक युवक सोया हुआ था, और यह देख कर गिद्ध को सब कुछ समझ में आ गया.
रतन को देख कर गिद्ध ने उसे बहुत ज्यादा धन्यवाद कहा और उससे पूछा कि तुम कहां से आए हो और कौन हो. रतन ने उसे अपनी पूरी कहानी बता दो तब गिद्ध पक्षी ने कहा तुम्हारा अकेले सात समुंदर पार जाना कठिन है आओ मैं तुमको अपनी पीठ पर वहां ले चलता हूं.
यह बात सुनकर रतन को बहुत खुशी हुई और वह गिद्ध पक्षी के साथ चला गया. रास्ते में उनको एक आम का पेड़ मिला और वह बहुत भूखा था. उसने उनका रास्ता रोका और कहा कि कहां जा रहे हो?
रतन ने उसको बताया और पेड़ बोला उसने कहा कि एक प्रश्न भाग्य से संबंधित मेरे लिए भी पूछ लेना कि हर पेड़ पर हरे पत्ते आते हैं लेकिन मेरे ऊपर ना तो पत्ते आते हैं और ना ही फल और ऐसा केवल मेरे साथ ही क्यों होता है और मैं सूखा की रहता हूं.
गिद्ध पक्षी और रतन सात समुंदर पार पहुंच गए और वहां पर रतन में देखा कि सच में उसका भाग्य वहां पर सो रहा था. रतन ने भाग्य देव को उठाया और अपने दुर्भाग्य को दूर करने के लिए प्रार्थना करी.
भाग्य देव मान गया तभी रतन में सूखे पेड़ का भी प्रश्न पूछ लिया. भाग्य देव ने उत्तर दिया कि उस पेड़ के नीचे खजाना गड़ा हुआ है और उसकी रक्षा करने के लिए पेड़ के निचे एक बड़ा सांप रहता है.
भाग्य देव ने कहा कि तुम उस सांप को मार दो तब पेड़ हरा हो जाएगा और तुम्हारा दुर्भाग्य भी दूर हो जाएगा. रतन बहुत खुश हुआ और वह फिर से सात समुंदर पार आकर पेड़ के पास पहुंच गया. उसने तुरंत ही उस सांप को मार दिया और जमीन में गड़ा खजाना निकाल लिया.
अब रतन खुशी-खुशी अपने घर गया और खजाने को अपने भैया और भाभी को दे दिया. अब उसके भैया और भाभी जी उसका बहुत मान सम्मान करने लगे और सब लोग खुशी पूर्वक रहने लगे. बहुत इसी की वजह से यह कहावत है कि अंत भले का भला होता है.
शिक्षा – दोस्तों इस कहानी से हम लोगों को यह सीख मिलती है कि इंसान को कभी भी हार नहीं मानना चाहिए और हमेशा अच्छा काम करते रहना चाहिए उसका भाग्य हमेशा रोशन होता है और उसकी जीवन में बहुत खुशियां आती है.
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आपकी और दोस्तों
दोस्तों यह था अंत भले का भला पर कहानी हम उम्मीद करते हैं कि आप की यह कहानी सुनकर आप लोगों को पता चल गया होगा कि आप लोगों को भी हमेशा अच्छे काम करने चाहिए क्योंकि उसका फल हमेशा अच्छा होता है.
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